सुब्रत रॉय : निवेशकों को लूटने का माहिर खिलाड़ी!


क्योंकि! एक स्कूटर मैकेनिक से लेकर अरबपति वो एक एक पैसा निवेशकों से रोजाना जमा करवा करके बना।

क्योंकि! वो सारे एजेन्टों को और सारे निवेशकों को अपने परिवार का सदस्य मानता है, और खुद को उनका मालिक मानता है।

क्योंकि! उसने निवेशकों का भरोसा बुरी तरह ही नहीं, बल्कि बहुत बुरी तरह तोड़ा है।

क्योंकि! सहारा के बॉण्ड कन्वर्जन किये जा रहे हैं। उनका पैसा लौटाया नहीं जा रहा है।

क्योंकि! वह बॉण्ड को कन्वर्जन करके सरकार को उल्लू बना रहा है।

क्योंकि! एक निवेशक को भारी आर्थिक परे​शानियां होने के बावजूद भी पैसा नहीं दिया जा रहा है।

क्योंकि! उसने बड़ी चालाकी से सरकार से पेरोल ले लिया।

क्योंकि! उसके बैंक मैनेजर ही नहीं, बल्कि वह खुद निवेशकों को खामोश रहने की धमकी देते हैं।

क्योंकि! उसने बड़ी चालाकी से एक बार फिर से एक एक पैसा लोगों से जमा करवाना शुरू कर दिया है।

क्या सुब्रत रॉय ने निवेशकों का भरोसा नहीं तोड़ा है? जो निवेशक अपनी रोजाना की कमाई में से एक एक पैसा सहारा में जमा किये हैं, उनका पैसा आखिर क्यों लौटाया नहीं जा रहा है? उनसे कन्वर्जन करने के लिए क्यों कहा जा रहा है? उनसे जबरदस्ती कन्वर्जन करवाया जा रहा है। यह धमकी बैंक मैनेजर साफ देता है कि अगर जो कन्वर्जन नहीं करोेगे तो पैसा हमेशा के लिए फंसा रहेगा। क्या यह सही है? एक आम दुकानदार, एक आम जनता अपनी मेहनत की गाढ़ी कमाई को रोजाना जमा करती है कि चलो थोड़ा थोड़ा पैसा बचाते रहेंगे। लेकिन! एक आदमी उनकी मेहनत की गाढ़ी कमाई को खा जाता है। उनकी मेहनत की गाढ़ी कमाई से सरकार से केस लड़ता है। क्या यह स​ही है?

कहानी अभी बाकी है!.......

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