सुब्रत रॉय ! आखिर कब तक कानूनी दांव पेंच में उलझे रहोगे?
क्योंकि इतना समय गुजर जाने के बाद भी वह पैसा नहीं लौटा रहे हैं। क्योंकि इतने ज्यादा साल हो गए हैं और सुब्रत रॉय निवेशकों का भरोसा कायम करने में नाकाम रहे हैं। क्योंकि सहारा बैंक खुद को दिवालिया नहीं घोषित कर पा रही है और न तो एंबी वैली सिटी को बेच ही पा रही है। क्योंकि सेबी और सहारा की लड़ाई में एक आम निवेशक गेहूं में घुन की तरह पिसा जा रहा है। सुब्रत रॉय! आखिर तुम्हारी बैंक चलेगी कब तक?